Osho Speech-
अकेलापन हमारी आत्यंतिक नियति है उससे बचने का कोई उपाय नहीं अकेले हम है और बचने की जितनी हम चेष्ठा करते है वही तो संसार है और बचने की चेष्टाएं सब व्यर्थ हो जाती हैं वही तो वैराग्य है और हम जब बचने की सारी चेष्टाएं छोड़ देते हैं वही तो ध्यान है अकेले हम हैं और चाहते हैं कि अकेले ना हो और यहीं से भूल शुरू होती है क्यों अकेले होने में क्या कठिनाई है अकेले होने में बेचैनी क्या है अकेले होने में भय क्या है अकेले होने में बुराई क्या है अकेले होने में दुख तुमसे किसने कहा है
जाने वाले तो कुछ और कहते हैं पूछो नानक से कबीर से ताल्लुक से पूछो दुल्हन दास से जानने वाले तो कुछ और कहते हैं जानने वाले तो कहते हैं की परम एकांत में ही तो आनंद की वर्षा होती है अमृत के मेघ झड़ते हैं हजार हजार सूरज निकलते हैं उसे पर हम एकांत में लेकिन आदमी भाग रहा है भाग रहा है अकेले से डर रहा है
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हमें बचपन से ही अकेले होने का भाई कर दिया गया है किसी बच्चे को मां-बाप अकेला नहीं छोड़ते कोई ना कोई मौजूद होना चाहिएऔर मां-बाप को ख्याल नहीं कि बच्चा 9 महीने तक पेट में बिल्कुल अकेला था एक बार भी नहीं रोया एक बार भी चीज पुकार नहीं मचाई एक बार भी नहीं कहा कि मुझे बहुत डर लगता है 9 महीने बिल्कुल अकेला था
अकेला ही नहीं बहुत गहन अंधकार में ही था जहां सूरज की एक किरण भी नहीं जाती मगर मनोवैज्ञानिक कहते हैं कि वह 9 महीने ही बच्चों के जीवन में सर्वाधिक आनंद के दिन थे और उन्हीं की याद के कारण आदमी मोच्छ की तलाश करता है मनोवैज्ञानिक के तुझे व्याख्या है मोक्ष की तलाश कि वह जो 9 महीने बच्चे ने जाने हैं परम एकांत परम एकांकी और विराम के उसकी स्मृति उसे पीछा करती है
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उसके अचेतन में अब भी वह याद सताती है वह सुखद छड़ अभी उसकी याद में तड़पते हैं वह सुभाष अभी भी उसको घेरे रहती है और उसकी तलाश करता है मनोवैज्ञानिक की दृष्टि से तो मोक्ष की तलाश एकांत और विराम की खोज है मनोवैज्ञानिक यह भी कहते हैं कि आदमी जो सुंदर-सुंदर घर बनाता है वह भी इस गर्भ की आकांक्षा में बनाए जाते हैं अच्छा मकान बनाते हैं
अच्छा कमरा बनाते हैं उसमें खूब फर्नीचर सजाते हैं जितना ही स्वागत करता हुआ मालूम पड़े जितना ही विश्रामपुर हो उतना ही अच्छा लगता है अमेरिका में तो एक प्रयोग चल रहा है जिसमें एक जो प्रयोग महत्वपूर्ण है मशीन अगले महीने के यहां भी आ जाएंगी और ध्यान उसको यहां भी शुरू करेंगे महत्वपूर्ण प्रयोग है इसमें ध्यान की जो नई-नई प्रक्रिया है जो खोजी गई है |
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एक टैंक बनाया है वैज्ञानिकों ने ठीक गर्भ के आधार पर उसको जमीन के नीचे कर देते हैं गहन अंधकार होता है उसमें साउंड प्रूफ होता है उसमें कोई आवाज बाहर से भीतर नहीं आती उसमें जो जल होता है वह ठीक वैसा ही होता है जैसे मां के गर्भ में होता है जिसमें बच्चा तैरता है मां के पेट में जो जल होता है उसमें एप्सम सॉल्ट की इतनी मात्रा होती है बच्चा डूब नहीं सकता जैसे तुमने सुना होगा यूरोप में डेट सी सागर है उसको इसलिए मुर्दा सागर कहते हैं कि
उसमें कोई डूब नहीं सकता उसमे मछली भी नहीं होती क्योंकि मछली भी डूब नहीं सकते उसमें मछली को डूबने के लिए तो जरूरी है उसका डूबना उसमें कोई डूबी नहीं सकता उसमें इप्सम साल्ट की इतनी मात्रा है कि बिना तैरने वालों को डाल दो तो वह भी तैरता रहेगा शरीर से पानी का वजन ज्यादा है शरीर हल्का पड़ जाता है मां के पेट में एप्सम सॉल्ट की इतनी मात्रा होती है जो मन के पेट में इतना बड़ा पेट दिखाई देता है उसमें यह मत समझ लेना कि यह बच्चा है उसमें उसमें पानी का भरा होना ज्यादा कारण होता है
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इसलिए मन जब गर्भावस्था में होती है तो नमक ज्यादा पसंद होता है उसको उनको नमकीन चीज पसंद आने लगते हैं उसका पूरा कारण क्या है की जो पानी भरा हुआ है उसको नमक ही नमक चाहिए जितना नमक मिल सके उतना अच्छा। उसे टैंक में ठीक उतनी ही मात्रा में रासायनिक द्रव्य होते हैं जितने मां के पेट में होते हैं उसे टेंट में आदमी को छोड़ देते हैं उसमें तुम डूब नहीं सकते तुम लाख उपाय करो तो भी नहीं डूब शक्ति डूब सकते लाख कोशिश करो तब भी नहीं डूब सकते और तुम्हारी नाक से बस एक नाली जुड़ी रहती है
जैसे मां के पेट में तुम मन से जुड़े रहते हो सांस लेने के लिए ऐसी बस एक ऐसी नाली जुड़ी रहती है जिससे ऑक्सीजन आता है इस टेंट में घंटे 2 घंटे रहने पर अपूर्व अनुभव होता है शांति के सुनने के दे रहे तथा के उसे टैंक का नाम ही उन्होंने समाधि टेंट रखा है उनको और अच्छा नाम मिला ही नहीं क्योंकि पश्चिम के भाषा में है ही नहीं उनका नाम उसे टेंट में अर्थ तो है वैज्ञानिक का अर्थ है उसमें जो दो-तीन घटे रह आता है उसकी पहली दफा फिर से पुनः याद आ जाती है मां के गर्भ में रहने के उस शांति कि, उस आनंद की
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वैज्ञानिक तो यही कहते हैं कि ध्यान की प्रक्रियाएं इस अवस्था में ले जाते हैं बिना बाहरी उपकरणों के ध्यान की प्रक्रिया भी उसी अवस्था में ले जाते हैं घरों में भी जो हम हम अपने कमरे को बनाते हैं उसे ढंग से बनाते हैं सब तरह से हमें वह त्रप्त रखे प्रसन्न रखे प्रफुल्ल रखें शांत रखें मगर अब तक ठीक-ठीक मां के पेट का अनुभव कोई भी चीज पूरी पूरी तरह नहीं दे पाई है
लेकिन मां के पेट में बच्चा 9 महीने तक अकेला रहता है ना तो भयभीत होता है ना चिंतित होता हैना सोता की क्लब चले जाएं क्लॉट्री के मेंबर बन जाए होटल हो जाए की तासीर खेलने कुछ नहीं तो समय ही काटे चलो फिल्म दिखाएं चलो गुप्त सब करें पड़ोसियों से कुछ भी नहीं 9 महीने बिल्कुल सन्नाटा है तो एक बार तो निश्चित है कि तुम स्वभाव से एकांत में रहने को बने हो स्वभाव से तुम्हें एकांत में रहने का रस है कोई दुख नहीं –
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1 thought on “Osho Speech | 1 एकांत में आत्मज्ञान कैसे | भगवान रजनीश के विचार”