मोहनदास करमचंद गांधी, जो कि महात्मा गांधी के नाम से लोकप्रिय हुए, का जन्म 2 अक्टूबर, 1869 के दिन पोरबंदर (काठियावाड़, गुजरात) में एक परंपरागत हिन्दू परिवार में हुआ था। 1881 में शिक्षा ग्रहण करने के लिए गांधी जी इंग्लैंड गये, उन्होंने लंदन में मैट्रीक्यूलेशन पास किया और वकील बनने की योग्यता प्राप्त की। 1891 में यह युवा वकील भारत लौटा और बंबई के उच्च न्यायालय में वकालत प्रारंभ की। एक वकील के रूप में जब उसे सफलता नहीं मिली तो उसने राजकोट जाकर अर्जी लिखने का कार्य प्रारंभ किया जिससे कि उसे लगभग 300 रुपये महीने की आमदनी होती थी। 1893 में गाँधी जी डरबन गये। यह यात्रा उन्होंने भारतीय फर्म दादा अबदुल्ला एण्ड कंपनी के मुकदमें के संदर्भ में की थी। यह कंपनी दक्षिण अफ्रीका में व्यापाररत थी। यद्यपि गांधी जी केवल एक वर्ष के लिए वहाँ पर गये किन्तु वे 1914 तक (इस बीच वे दो बार भारत भी आये) वहाँ रहे। दक्षिण अफ्रीका में गाँधी जी नै रंग भेद के खिलाफ संघर्ष किया। वास्तव में वहाँ की सरकार की रंग भेद नीति के कारण भारतीय समुदाय को कोई भी ऐसा मानवीय अधिकार प्राप्त नहीं था जो कि एक सभ्य जीवन जीने के लिए आवश्यक था।
(biography of mahatma gandhi in hindi )
दक्षिण अफ्रीका में रंग भेद -(Mahatma Gandhi)
दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद आंदोलन के बीज गाँधी द्वारा बोए गए थे। उन्होंने पहली बार वहाँ उपनिवेष विरोधी और रंग भेद विरोधी आंदोलन स्थापित किया और 22 अगस्त 1894 को नटाल भारतीय कांग्रेसकी स्थापना की। जब गाँधी को ज्ञात हुआ कि दक्षिण अफ्रीका की सरकार भारतीयों को मताधिकार से वंचित करने के लिए कानून पारित कर सकती है, तो उन्होंने भारतीयों को विरोध करने का अनुरोध किया था। उनके सुझाव पर 28 जून 1894 को दक्षिण अफ्रीका की विधानमंडल को याचिका भेजी गई थी। याचिका का व्यापक प्रचार किया गया। भारतीयों के विरोधों के बावजूद बिल पारित किया गया। गाँधी ने दूसरी याचिका लंदन में सेक्रेटरी ऑफ कॉलोनीज, लॉर्ड रिपन को भेजी। 10,000 भारतीयों ने इस याचिका पर हस्ताक्षर किए थे। लॉर्ड रिपन ने मताधिकार वंचित करने के बिल को अस्वीकृत किया। इस प्रकार याचिकाकर्त्ता गाँधी सफल हुए।
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प्रमुख गांधीवादी विचारधारा (Mahatma Gandhi)
- सत्य और अहिंसाः गांधीवादी विचारधारा के ये 2 आधारभूत सिद्धांत हैं।
गांधी जी का मानना था कि जहाँ सत्य है, वहाँ ईश्वर है तथा नैतिकता (नैतिक कानून और कोड) इसका आधार है।
अहिंसा का अर्थ होता है प्रेम और उदारता की पराकाष्ठा। गांधी जी के अनुसार अहिंसक व्यक्ति किसी दूसरे को कभी भी मानसिक व शारीरिक पीड़ा नहीं पहुँचाता है। - सत्याग्रह: इसका अर्थ है सभी प्रकार के अन्याय, उत्पीड़न और शोषण के खिलाफ शुद्धतम आत्मबल का प्रयोग करना।
• यह व्यक्तिगत पीड़ा सहन कर अधिकारों को सुरक्षित करने और दूसरों को चोट न पहुँचाने की एक विधि है।
• सत्याग्रह की उत्पत्ति उपनिषद, बुद्ध-महावीर की शिक्षा, टॉलस्टॉय और रस्किन सहित कई अन्य महान दर्शनों में मिल सकती है। - सर्वोदय– सर्वोदय शब्द का अर्थ है ‘यूनिवर्सल उत्थान’ या ‘सभी की प्रगति’। यह शब्द पहली बार गांधी जी ने राजनीतिक अर्थव्यवस्था पर जॉन रस्किन की पुस्तक “अनटो दिस दिस लास्ट” पर पढ़ा था।
- स्वराज- हालाँकि स्वराज शब्द का अर्थ स्व-शासन है, लेकिन गांधी जी ने इसे एक ऐसी अभिन्न क्रांति की संज्ञा दी जो कि जीवन के सभी क्षेत्रों को समाहित करती है
महत्वपूर्ण-
कोई व्यक्ति यह सोच सकता है कि गांधी जी का वकालत का पेशा ही एक शत्रुवत वातावरण में एक नए व्यक्ति के लिए पहाड़ चढ़ने के समान रहा. होगा, और फिर ऊपर से उनके राजनीतिक अभियान, उनके मानव कल्याण के कार्य और उनके धार्मिक संवाद-इन सबके लिए उनको समय ही कहां मिलता होगा। लेकिन गांधी जी अगर यहीं तक सीमित रहे होते और आगे नहीं जाते, अगर वे सिर्फ एक रास्ते पर चलते और दूसरे पर नहीं चलते तो गांधी जी नहीं रहे होते। जो भी काम उनके सामने आए उसे उन्होंने एकाग्रचित्त होकर पूरा किया, लेकिन उनकी दिलचस्पियों के अनेक पहलू थे और उनकी जिज्ञासा जीवंत थी। कोई काम इतना क्षुद्र नहीं था कि उस पर वे पूरा पूरा ध्यान न देते और कोई काम इतना बड़ा नहीं था कि दूसरी दिलचस्पियों को छोड़कर और केवल उसी के होकर रह जाते ।
प्रेमचन्द्र के बारे में जाने – https://bhartiyadrishti.com/biography-of-premchand/